लोकपाल कानून :अन्ना के संघर्ष का परिणाम

anna-ji

रालेगण सिद्धी में अन्ना हजारे ने नौ दिनों तक अनशन किया. इस अनशन के साथ साथ जनतंत्र मोर्चा के कार्यकर्ता देश के कई शहरों और क़स्बों में धरना-प्रदर्शन व अनशन करते रहे. नेशनल मीडिया में उन्हें दिखाया नहीं गया, लेकिन क्षेत्रीय अख़बारों और टीवी चैनलों ने स्थानीय आंदोलनों को जमकर दिखाया. देशभर में दो सौ से ज्यादा जगहों पर अन्ना के समर्थन में लोग सड़कों पर उतरे. सरकार को लगातार यह जानकारी मिल रही थी कि 2011 की तरह अगर

अरविन्द केजरीवाल ने की आम आदमी के सपने की हत्या

aam-aadmi-ke-sapne-ki-hatya

आज तक के एक कार्यक्रम में पुण्य प्रसून वाजपेयी ने एक ऐसी बात कही, जिससे सबके दिल को गहरा आघात पहुंचा. उन्होंने अन्ना-अरविंद चिट्ठी विवाद पर कहा कि यह एक सपने की मौत हो रही है. लेकिन इसके ठीक 72 घंटे के बाद जो वीडियो दुनिया के सामने आया, उससे यह साबित हो गया कि यह सपने की मौत नहीं, बल्कि सपने की हत्या कर दी गई है. और इस हत्या के मुख्य आरोपी अरविंद केजरीवाल हैं, जिनकी महत्वाकांक्षा सत्ता

आम आदमी पार्टी को अन्ना का समर्थन नहीं है

kejriwal ko anna-ka-smarthan-nahi

दिल्ली चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए जीने-मरने का सवाल है. इसलिए यह पार्टी साम, दाम, दंड, भेद- इन चारों हथियारों का बड़ी होशियारी से इस्तेमाल कर रही है. कहने को तो इस पार्टी के नेता पारदर्शिता के पक्षधर हैं, लेकिन उनके बयान वैचारिक रूप से अशुद्ध व भ्रामक प्रतीत होते हैं. दिल्ली चुनाव में व्यवस्था परिवर्तन का क्या मतलब है? दिल्ली सरकार देश की अकेली राज्य सरकार है जिसके पास न तो पुलिस है, न ही जनता की सुरक्षा

नरेंद्र मोदी बनाम राहुल

narednra modi vs rahul gandhi

देश में इस वक़्त दो व्यक्ति प्रधानमंत्री पद के प्रमुख दावेदार हैं. राहुल गांधी और नरेन्द्र मोदी. लेकिन न तो राहुल और न ही मोदी ने तरक्की का ऐसा कोई मॉडल पेश किया है, जो समूचे देश के हित में हो. हालांकि, दोनों ही कहते हैं कि देश मज़बूत और विकसित बने, पर दोनों को ही ये नहीं पता कि ऐसा होगा तो आख़िरकार होगा कैसे? मोदी हों या राहुल, दोनों ही बस जुमले उछालते हैं, सवाल उठाते हैं, पर समाधान नहीं बताते.   नीम हकीम ख़तरा ए

पार्ट-2 : आधारहीन आधार कार्ड

aadhar

यूआईडी यानी आधार के मामले में यूपीए सरकार का रवैया अजीबोग़रीब है. सरकार संसद के अंदर कुछ कहती है. संसद के बाहर मीडिया से कुछ और कहती है और अदालत के अंदर जाकर बिल्कुल ही अगल बात कहती है. सरकार की अलग-अलग एजेंसियां यह भ्रम फैलाती हैं कि यूआईडी हर सरकारी काम के लिए ज़रूरी है, लेकिन कोर्ट में जाकर मुकर जाती हैं. सरकार से जब यह पूछा जाता है कि इस स्कीम पर कितने पैसे ख़र्च होगें, तो सरकार

मनमोहन सिंह जेल जा सकते है

manmohan singh jail ja sakte hain

क्या प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह दिसंबर में जेल जाएंगे? क्या मनमोहन सिंह देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री होंगे, जिन्हें जेल जाना होगा? यह सवाल दुखद है, लज्जाजनक है और चिंतित करने वाला है और इसलिए इसे उठाना आज सबसे जरूरी है. कोयला घोटाले में सरकार का जो अबतक का रवैया सच को झूठ और झूठ को सच बनाने का रहा है, इससे सुप्रीम कोर्ट नाराज है. आजाद भारत के इतिहास में सीबीआई और सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की तरफ से

इतिहास के आईने में एक ईमानदार प्रधानमंत्री

imandar pradhanmantri

यूपीए सरकार के दस साल पूरे होने वाले हैं. इन दस सालों में क्या हुआ? हम विकास की राह पर कहां तक पहुंचे? भारत आगे बढ़ा या पीछे छूट गया? देश की एकता व अखंडता मजबूत हुई या फिर हम बिखरने लगे? वर्षों से चल रही समस्याओं का क्या हुआ? सरकार की नीतियां कितनी सफल हुईं और संवैधानिक संस्थाओं पर लोगों का विश्‍वास कितना बढ़ा? इतिहास मनमोहन सिंह सरकार का किस तरह आकलन करेगा? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनका

दिल्ली विधानसभा चुनाव : यह आम आदमी पार्टी की अग्नि परीक्षा है

AAM-ADMI-WEB

दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक और स्थिति पैदा हो सकती है कि भारतीय जनता पार्टी चुनाव जीत जाती है. कांग्रेस हार जाती है. आम आदमी पार्टी को ज्यादा सीटें नहीं मिलती है. काजल की काली कोठरी के बाहर रह कर खुद को बेदाग कहना आसान है, लेकिन काजल की काली कोठरी के अंदर रह कर खुद को बेदाग रखना ही असली परीक्षा है. आम आदमी पार्टी राजनीति की काली कोठरी से अब तक बाहर है. अभी अंदर गई भी नहीं

दंगे होने वाले है

dange hone wale hain

देश में जिस तरह का राजनीतिक माहौल बनाया जा रहा है, उससे साफ़ लगता है कि दंगे होने वाले हैं. देश का मीडिया, राजनीतिक दल और राजनेता इस देश में दंगे कराने पर आमादा हैं. दंगे कराने वालों में सांप्रदायिक ताकतों के साथ- साथ वे कथित सेकुलर ताकतें भी हैं, जिनकी निगाह उस 19 फ़ीसद वोटों पर है, जिन्हें वे बड़ी बेशर्मी से मुस्लिम वोटबैंक कहती हैं. कोई चेहरा दिखाकर मुसलमानों को डरा रहा है, तो कोई हमदर्द होने का दिखावा करके. हैरानी इस बात की है

एक बार फिर कांग्रेस ने गाँधी को मारा

ek baar phir gandhi ko mara

बहुत कम लोग ऐसे होते हैं, जो बदलते नहीं हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो कभी सुधरते नहीं हैं. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की यादों से जुड़ी वस्तुओं की फिर से नीलामी हुई. फिर से भारत की ऐतिहासिक धरोहरों पर बोली लगी, लेकिन भारत की सरकार फिर से सोती रह गई. यह नहीं सुधरी. हालांकि फिर से एक भारतीय ने भारत की लाज बचाई. एक बार फिर उसी भारतीय ने महात्मा गांधी की यादों से जुड़ी वस्तुएं खरीदीं और पिछली बार की