प्रधानमंत्री जी, सौ दिन का एजेंडा कहां है?

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मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के 100 दिन पूरे हो गए. सरकार सौ दिन के एजेंडे को पूरा करने में विफल रही. सरकार असफल रही, तो विपक्ष भी अपने ही उलझनों में उलझी रही. मुख्य विपक्षी दल सरकार से यह पूछना भूल गया कि राष्ट्रपति के अभिभाषण के ज़रिए सरकार ने जो वादे किए थे, वे कहां है. प्रधानमंत्री ने दूसरी पारी की शुरुआत किसी धुआंधार बल्लेबाज की तरह की थी. सरकार ने टारगेट और टाइम तय करके काम

कांग्रेसी, वामपंथी शैली में रंगी भाजपा

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भाजपा पर कांग्रेस और वामपंथियों  की विचारधारा और सांगठनिक कार्यशैली हावी हो चुकी है. भाजपा के हाल के बयानों पर ग़ौर करें तो पार्टी अब हाईकमान, पार्टी लाइन, डेविएशन्स आदि-आदि जैसे शब्दों का प्रयोग करती नजर आ रही है. वैचारिक पवित्रता का पाठ तो कम्युनिस्ट पार्टी में पढ़ाया जाता है. उनकी विचारधारा स्पष्ट है. पार्टी के नेता हों या कार्यकर्ता, सभी को पता होता है कि पार्टी की लाइन क्या है? वामपंथियों की भांति भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह पिछले कुछ

चिंतन बैठक ने भाजपा की चिंता बढ़ाई

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भाजपा पाताल लोक की ओर अग्रसर है. इसे कैसे बचाया जाए. चुनाव में हार के क्या कारण थे, पार्टी को फिर से कैसे मज़बूत किया जाए, विचारधारा को लेकर बनी भ्रामक स्थिति और इस तरह के तमाम सवालात  को लेकर चिंतन बैठक बुलाई गई. लेकिन भाजपा ने सच का सामना करने से इनकार कर दिया. चिंतन बैठक ख़त्म हो गई, लेकिन देश भर के  कार्यकर्ताओं और चिंतन बैठक में हिस्सा न लेने वाले भाजपा नेताओं को अब यह कभी पता

भाजपा का बचना जरूरी

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भाजपा से वरिष्ठ नेताओं के जाने का सिलसिला जारी है. कुछ को निकाला जा रहा है. कुछ पार्टी के अंदर घुटन महसूस करने की वज़ह से पार्टी छोड़ कर जा रहे हैं. आने वाले दिनों में कुछ और नेता आडवाणी एंड कंपनी के ख़िला़फ आवाज़ उठाने वाले हैं. जब से यशवंत सिन्हा, जसवंत सिंह और अरुण शौरी ने चुनाव में हार के लिए ज़िम्मेदार कौन का सवाल उठाया है, तब से पार्टी अंतहीन खेमेबाज़ी में फंस गई. कौन, किसे, कहां

संघ, भाजपा, जिन्ना और जसवंत

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जिन्ना-इंडिया, पार्टिशन, इंडिपेंडेंस, विवादों के  घेरे में है. यह किताब वरिष्ठ भाजपा नेता जसवंत सिंह ने लिखी है. जसवंत सिंह ने किताब  के शीर्षक से ही साफ कर दिया है कि उनकी किताब भारत की आज़ादी और विभाजन का विश्लेषण मोहम्मद अली जिन्ना के  इर्द-गिर्द घूमती है. जसवंत सिंह की किताब का सार है कि जिन्ना साहब एक महान व्यक्ति थे और उन्हें बेवजह हिंदुस्तान में खलनायक बना दिया गया. मैंने यह किताब नहीं पढ़ी है और न ही पढ़ने

आडवानी जी को क्या हो गया है?

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भारतीय जनता पार्टी पर आडवाणी एंड कंपनी का एकाधिकार स्थापित हो चुका है. ऐसा लगता है कि राजनीति विज्ञान का गिने-चुने लोगों द्वारा शासन करने का सिद्धांत (आयरन लॉ ऑफ ओलीगार्की) भाजपा पर हावी हो चुका है. यह धारणा आडवाणी के  हाल के  बयान और संघ के  अंदर चल रहे आत्ममंथन से पुष्ट होती है. आडवाणी ने अपने पद पर बने रहने की सनक से न स़िर्फकार्यकर्ताओं के  मनोबल को तोड़ा है, बल्कि विरोध के  स्वर को पार्टी में जगह

हिंदुस्तान, पाकिस्तान और बलूचिस्तान

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हिंदुस्तान, पाकिस्तान और बलूचिस्तान 1 पाकिस्तान की आंख में क्यों चुभता है बलूचिस्तान. 2 भारत- पाकिस्तान के  बीच में पिस रहा है बलूचिस्तान. 3 प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान को फंसाया. 4 पाकिस्तान का अकेला धर्मनिरपेक्ष आंदोलन है बलूचिस्तान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान पर ऐतिहासिक कूटनीतिक जीत हासिल की है. पाकिस्तान ने मुंबई हमले पर अपनी जांच की पूरी रिपोर्ट 11 जुलाई को भारत को सौंपी है. इस सरकारी दस्तावेज़ में पहली बार पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर यह माना कि भारत में

संसद, सर्वोच्च न्यायालय और सबसे बड़ी सेक्स मंडी

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लगता है केंद्र सरकार को धारा 377 हटाने की जल्दबाज़ी है. दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है. वैसे तो, नेता और अधिकारी कोर्ट में लंबित मामले पर अपनी ज़ुबान खोलने से बचते हैं, लेकिन धारा 377 के मामले में क़ानून मंत्री वीरप्पा मोइली तो बोले ही, गृह सचिव गोपाल कृष्ण पिल्लई ने भी इंटरव्यू देना शुरू कर दिया है. गृह सचिव का कहना है कि सरकार दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के ख़िला़फ सुप्रीम

हम नहीं सुधरेंगे

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भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हर मायने में विफल रही. इस बैठक के बाद भाजपा पहले से कहीं ज़्यादा भ्रमित नज़र आ रही है. नेतृत्व और विचारधारा को लेकर, संगठन को मज़बूत करने की बात पर, युवाओं को पार्टी में जगह देने के मसले पर, संघ के साथ संबंध के मुद्दे पर और हिंदुत्व के रूप और मायने पर भाजपा में दिशाहीनता की स्थिति है. हार की वजहों को ढूंढने निकली भाजपा का हाल यह रहा कि

आडवाणी जी, पार्टी को बचाने के लिए संन्यास ले लीजिए

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भाजपा में नेताओं की लड़ाई  और गुटबाजी सचमुच गहरा गई है. यशवंत सिन्हा, जसवंत सिंह और अरुण शौरी ने ऐसा राग छेड़ दिया है कि आडवाणी गुट की हवा ही निकल गई है. विरोध करने वाले  नेताओं की बातों में तर्क है, जिसका जवाब आडवाणी और पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह के  पास नहीं है. चुनाव के दौरान हुई ग़लतियों पर सवाल खड़े करने वाले नेता उन बातों को सामने लाए हैं जिससे आज भाजपा का हर कार्यकर्ता बावस्ता है. यही