सीपीएम को सत्ता में रहने का अधिकार नहीं : सुल्‍तान अहमद

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सीपीएम की आइडियोलॉजी है कि कैसे अपनी पार्टी, जो मल्टीनेशनल कंपनी है, को मज़बूत करें. अवाम को नुक़सान पहुंचा कर, जनता को नुक़सान पहुंचा कर. सीपीएम का यही हाल है. त्रिपुरा में, केरल में भी यही हाल है. लेकिन बंगाल के लोगों ने इसमें लीड किया है. आगे भी दूसरी जगहों पर यही हाल देखेंगे. इनकी आइडियोलॉजी जनता को दबा कर, आवाज़ ख़त्म करके वन पार्टी जैसा रूल करना है. पश्चिम बंगाल के हालिया स्थानीय निकाय चुनावों के परिणामों से

प्रधानमंत्री जी, ये सफलता है या विफलता

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मनमोहन सिंह सरकार का एक साल पूरा हो गया. इस साल आज़ाद भारत में दो सबसे बड़े घोटाले हुए. आईपीएल घोटाले में केंद्रीय मंत्रियों, नेताओं, फिल्म स्टारों, अधिकारियों और अंडरवर्ल्ड के खतरनाक गठजोड़ का खुलासा हुआ. 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले में 60 हज़ार करोड़ रुपये का नुकसान भी सरकार के खाते में आया. इसके अलावा महंगाई, सीबीआई का राजनीतिक इस्तेमाल, माओवादियों का आतंक और भ्रष्टाचार के नए-नए रूप देखने को मिले. किसानों की सब्सिडी के लिए सरकार के पास पैसे

विपक्ष सो रहा है

महंगाई की मार से त्रस्त देश की जनता स्वयं को अनाथ महसूस कर रही है. उसके लिए सड़कों पर उतर कर आंदोलन करने वाला कोई नहीं है. आईपीएल के घोटाले में मंत्री, नेता, फिल्म स्टार, बड़े-बड़े बिजनेसमैन एवं अधिकारी और अंडरवर्ल्ड शामिल हैं. वे मिलजुल कर क्रिकेट के पीछे करोड़ों का खेल खेल रहे हैं, लेकिन इसके ख़िला़फ कोई आवाज़ उठाने वाला नहीं है. देश में दलालों की भूमिका अब कैबिनेट मंत्री तय करने तक पहुंच गई है, लेकिन सब

राजनीति की काली दुनिया

rajniti ki kali duniya

मामला महंगाई की मार झेल रही जनता की समस्याओं से शुरू हुआ. विपक्षी पार्टियों ने भारत बंद का आह्वान किया. लोकसभा में कटौती प्रस्ताव लाया गया. जनता को लगा कि विपक्ष उनकी समस्याओं को लेकर गंभीर है, लेकिन राजनीति के घिनौने खेल ने जनता का मज़ाक उड़ाकर रख दिया. कटौती प्रस्ताव के इर्द-गिर्द राजनीति का जो घिनौना खेल खेला गया, उससे लोकसभा ने जनता को यही संदेश दिया कि महंगाई पर लगाम नहीं लगाई जाएगी, पेट्रोल की बढ़ती क़ीमतें जायज़

प्रियंका गांधी कांग्रेस की आंधी

priyanka gandhi congress ki andhi

प्रियंका ख़ुद को प्रियंका रॉबर्ट वाडरा लिखती हैं, लेकिन कांग्रेस उन्हें प्रियंका गांधी के रूप में सामने लाना चाहती है, क्योंकि लोगों के मन में यही नाम सालों से चमक रहा है. बिहार चुनाव में कांग्रेस इस सुपर तुरुप के पत्ते का इस्तेमाल करने जा रही है, इसके बाद उत्तर प्रदेश और फिर लोकसभा के चुनाव में भी जीत की आशा केवल और केवल प्रियंका गांधी ही हैं. राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए लोकसभा में पूर्ण बहुमत अनिवार्य

मेरे खिलाफ लिखना मना है

likhna mana hai

बिहार के अख़बारों पर नज़र डालें तो एक अजीबोग़रीब पैटर्न दिखता है. पहले पेज पर सरकार के अच्छे कामों का बढ़ा-चढ़ा ब्यौरा मिलता है, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अच्छी तस्वीर होती है और बाक़ी जगह पर हत्या, बलात्कार और लूट की ख़बरें होती हैं. जितना विकास हुआ नहीं, अख़बार उससे कहीं ज़्यादा ढोल पीटते हैं. सरकार की योजनाओं और कामों को प्रचारित करने के लिए जनसंपर्क विभाग होता है. हर सरकार यही चाहती है कि उसके अच्छे कामों का प्रचार

गडकरी जी, अध्‍यक्ष की तरह दिखिए

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बीजेपी की असल बीमारी यही है कि पार्टी के पास लोगों के बीच काम करने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं की कमी है. गडकरी को इसी बीमारी का इलाज करना था. एयरकंडीशन कमरे में बैठ कर राजनीति करने वालों को सर्जरी कर बाहर करना था. ज़मीनी स्तर पर काम करने वाले या काम करने के इच्छुक कार्यकर्ताओं को सामने लाना था. पार्टी की कार्यपद्धति बदलनी थी. पार्टी में फैसले लेने की प्रक्रिया में पारदर्शिता लानी थी. युवाओं को आगे लाना था.

नाना जी देशमुख : एक विलक्षण व्‍यक्तित्‍व

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उत्तर प्रदेश में संघ की विचारधारा और संगठन को फैलाने का काम आसान नहीं था, क्योंकि संघ के पास इसके लिए न तो पैसे थे और न ही समर्थक. नानाजी ने इसी दौरान बाबा राघवदास के आश्रम को अपना ठिकाना बनाया. आश्रम में रहने के लिए उन्हें खाना बनाना पड़ता था और साथ में वह संघ के काम को भी देखते थे. यह बताता है कि नानाजी ने संघ को उत्तर प्रदेश में खड़ा करने के लिए क्या कुछ नहीं

शाहरूख खान और फॉक्‍स ने ठाकरे और पूरे देश को मूर्ख बनाया

shahrukh khan

यह एक शर्मनाक़ स्थिति है कि माई नेम इज ख़ान विवाद ने ऐसा रूप अख्तियार कर लिया, जहां राज्य सरकार ने फिल्म को रिलीज और हिट कराने का ज़िम्मा अपने सिर ले लिया हो. हद तो तब हो गई, जब उप मुख्यमंत्री आर आर पाटिल ख़ुद फिल्म देखने थियेटर पहुंच गए. जिस हिसाब से कांग्रेस और एनसीपी की सरकार ने इस फिल्म को रिलीज कराने में अपनी सारी ताक़त झोंक दी, अगर वैसी ही कोशिश ग़रीब टैक्सी वालों के लिए

अब संघ के शिकंजे में है भाजपा

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भारतीय जनता पार्टी अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की राह पर चलेगी. भाजपा पहले भी संघ के इशारे पर ही चलती थी, लेकिन थोड़ा पर्दा था. नए अध्यक्ष नितिन गडकरी ने यह पर्दा भी उठा दिया है. पहले संघ के लोग कहते थे कि भाजपा के क्रियाकलापों में संघ का कोई हस्तक्षेप नहीं है और भाजपा के नेता कहते थे कि संघ उनके लिए वैचारिक प्रेरणास्रोत है, भाजपा के काम में संघ की कोई दख़लअंदाज़ी नहीं है. ऐसा पहली बार