बाबरी मस्जिद-राम जन्‍मभूमि विवादः संघ परिवार और अदालत

sangh pariwar

विवाद की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई, जिसमें वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी, रक्षा मंत्री ए के एंटनी और गृह मंत्री पी चिंदबरम के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन और इंटेलिजेंस ब्यूरो के डायरेक्टर भी शामिल हुए. उधर, उत्तर प्रदेश सरकार ने फैसले के बाद संभावित हिंसा से निपटने के लिए केंद्र से अतिरिक्त सुरक्षाबलों की मांग की है. राज्य सरकार ने संवेदनशील एवं अति संवेदनशील इलाकों की पहचान भी कर ली है.

यह विद्रोह की आहट है

ye vidroh ki aahat hai

देश के बारे में सोचते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं, डर लगने लगता है. देश में किसान आंदोलन विद्रोह का रूप ले रहा है. आदिवासी नक्सलियों के साथ मिलकर विद्रोह कर रहे हैं. सरकारी योजनाओं के नाम पर देश के चंद घरानों को फायदा हो रहा है. भ्रष्टाचार के नित नए-नए रूप दिख रहे हैं. अधिकारी और सरकारी विभाग हर फ्रंट पर विफल हो रहे हैं. नेताओं और सांसदों से लोगों का भरोसा उठ रहा है. स्थिति बद से

कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स 2010: सबसे बड़ा घोटाला

sabse bada ghotala

आज़ाद भारत का सबसे बड़ा खेल समारोह नेताओं और अधिकारियों के भ्रष्टाचार की वजह से सबसे बड़े घोटाले में तब्दील हो गया है. कॉमनवेल्थ गेम्स के नाम पर हर तऱफ लूट मची है. ऐसा लग रहा है कि देश में लूट का महोत्सव मनाया जा रहा है. हर मंत्रालय, हर विभाग के अधिकारी, नेता एवं बिचौलिए, जिन्हें जहां मौक़ा मिला, बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं. क्या खेल संगठनों में राजनेताओं के शीर्ष पद पर होने की वजह यही

नीतीश कुमार का आत्‍मविश्‍वास या अहंकार

nitishh

नीतीश कुमार ने पार्टी के नेताओं, कार्यकर्ताओं या फिर जनता की बातों को सुनना बंद कर दिया है. किसी भी योजना या नीति को तय करने में जनप्रतिनिधियों की हिस्सेदारी नहीं के बराबर रह गई है. पार्टी के नेता लाचार हैं. उनका आरोप है कि अवसरवादी नौकरशाहों ने मुख्यमंत्री को अपने मायाजाल में फंसा रखा है, वे हमेशा नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द घूमते रहते हैं. प्रजातंत्र में सरकार का यह दायित्व होता है कि शासन और प्रशासन संविधान के मुताबिक़

एक बम दिल्‍ली खत्‍म

delhi khatam

प्रकृति बाद में तबाह करेगी, पर इंसानी ऩफरत, दुश्मनी और दुनिया में अपनी ताक़त का लोहा मनवाने की आतंकवादियों की चाह भारत में तबाही ले आएगी तथा दिल्ली और मुंबई पिघल जाएंगे. जयपुर, पटना, लखनऊ और भोपाल जैसे शहर इतिहास की चीज हो जाएंगे. सभी मरेंगे, चाहे हिंदू हों या मुसलमान या कोई और. हमला करने वाले योजना बनाकर हमला करेंगे, पर जिनके ऊपर बचाने की ज़िम्मेदारी है, हमारी सरकार, वह सोई है या बेहोश है. सरकार और सरकार का

भारत-पाक वार्ताः बातचीत का यह कैसा तरीका है

bharat pak varta

वार्ता के दौरान पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिला़फ संयुक्त मोर्चे पर फिर से बातचीत शुरू करने की पेशकश की, जिसे मुंबई हमले के बाद बंद कर दिया गया था. भारत का मानना है कि वह सब कुछ करने को तैयार है, लेकिन पहले पाकिस्तान की सरकार को हाफिज़ सईद के खिला़फ कार्रवाई करनी होगी. यह अजीबोग़रीब स्थिति है कि एक आतंकी की वजह से न्यूक्लियर शक्ति से लैस दो देश आपस में अपने रिश्ते ख़राब करने पर आमादा हैं. यह

बीजेपी के अस्तित्‍व पर संकट

NITIN GADKARII

ग़रीब तो ग़रीब इस बार अमीर भी महंगाई की मार झेल रहे हैं. खाने पीने के सामान इतने महंगे हैं कि ग़रीबों की पहुंच से बाहर हो चुके हैं. जो साग-सब्जी, दूध दही और घी मिल भी रहे हैं वे ज़हर हैं. देश में मिलावट का ऐसा खेल चल रहा है जिससे इंसानियत शर्मसार हो चुकी है. शहरों में भी पीने का साफ पानी नहीं है. गांव में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बुरा है. लोगों को ट्रेन में सफर करने

ये दोस्‍ती हम नहीं तोड़ेंगे

ye dosti hum nahi

किसी टीवी सीरियल के स्क्रिप्ट की तरह भाजपा-जदयू के रिश्ते की कहानी उलट-पलट हो रही है. नरेंद्र मोदी के खिला़फ नीतीश कुमार ने मोर्चा क्या खोला,  राजनीतिक विश्लेषकों ने फायदे और ऩुकसान की माप-तौल करनी शुरू कर दी. कुछ तो यह भी कहने लगे कि इसका फायदा कांग्रेस पार्टी को होगा. बिहार में भाजपा और जदयू का गठबंधन बचेगा या टूट जाएगा, इसका आकलन किया जाने लगा. इन अटकलों के बीच इन दोनों पार्टियों के बीच सीट बंटवारे का समझौता

सेंट्रल एशिया : जातीय दंगों का ज्वालामुखी

Central-Asia

किरगिज़स्तान ही नहीं, पूरे सेंट्रल एशिया में जातीय दंगों का खतरा मंडरा रहा है. यूं कहें कि पूरा सेंट्रल एशिया जातीय दंगे के ज्वालामुखी पर बैठा है. किरगिज़स्तान के अलावा यह ज्वालामुखी फिलहाल शांत है. यह कब कहां और कैसे फट पड़े, इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है. किरगिज़स्तान में जो जातीय दंगे हुए, वह कोई अचानक से घटित होने वाली घटना नहीं है. यह कई दशकों से चली आ रही सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और सांस्कृतिक नीतियों का नतीजा है. ओश

मुसलमान ही नहीं, प्रजातंत्र भी खतरे में है

जब तक सामाजिक प्रजातंत्र का आधार न मिले, राजनीतिक प्रजातंत्र चल नहीं सकता. स्वतंत्रता को समानता से अलग नहीं किया जा सकता और न समानता को स्वतंत्रता से. इसी तरह स्वतंत्रता और समानता को बंधुत्व से अलग नहीं किया जा सकता. भारत एक विरोधाभासी जीवन में प्रवेश कर चुका है. राजनीतिक समानता को एक व्यक्ति-एक वोट का सिद्धांत समझ लिया गया है, जबकि समाज में आर्थिक और सामाजिक असमानता है. भारत का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक वर्ग पहले से ज़्यादा शोषित,