योग गुरु बाबा रामदेव ने आगामी 9 अगस्त से भ्रष्टाचार और काले धन के ख़िलाफ़ देशव्यापी आंदोलन करने का ऐलान किया है. इसके तहत बीते 4 जून से देश भर में ग्राम सभा से लेकर लोकसभा तक मुहिम चलाई जा रही है. इस आंदोलन से एक दिन पहले 8 अगस्त को प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन दिया जाएगा, जिसमें कई मांगें होंगी. अगर उन मांगों को नहीं माना गया तो 9 अगस्त से आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा. बाबा रामदेव का
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सरकार भ्रष्टाचार की नई गाथा लिख रही है, घोटाले का नया मापदंड बना रही है. 26 लाख करोड़ रुपये की लूट हो गई, लेकिन सरकार कहती है कि यह घोटाला नहीं है. सीएजी की रिपोर्ट बता रही है कि कोयला घोटाला हुआ है, सरकार कहती है कि यह सरकार की नीति है. टीम अन्ना जब सरकार पर आरोप लगाती है तो सरकार कहती है कि यह आरोप आधारहीन है. सरकार के तर्क अज़ीबोगरीब हैं. अगर निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाना
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यह इस देश का दुर्भाग्य है कि भारतीय जनता पार्टी देश की मुख्य विपक्षी पार्टी है. आपसी फूट, अविश्वास, षड्यंत्र, अनुशासनहीनता, ऊर्जाहीनता, बिखराव और कार्यकर्ताओं में घनघोर निराशा के बीच उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य में हार का सामना और अलग-अलग राज्यों के पार्टी संगठन में विद्रोह, वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी की यही फितरत बन गई है. भारतीय जनता पार्टी विश्वसनीय विपक्ष की भूमिका निभाने में विफल रही है. उसे अपने कर्तव्यों एवं ज़िम्मेदारियों का एहसास ही नहीं है.
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भारतीय राजनीति में शर्मनाक कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं. क्या हमने अमेरिका को भारत की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप करने की छूट दे दी है. अगर नहीं, तो देश की विपक्षी पार्टियां और मीडिया ने यह बात क्यों नहीं उठाई कि अमेरिका की विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने ममता बनर्जी से खुदरा बाज़ार में विदेशी पूंजी निवेश जैसे विवादित मामले पर क्यों बात की? जबकि सबको यह पता है कि विदेशी पूंजी निवेश एक ऐसा मसला है, जिसे लेकर यूपीए
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चौथी दुनिया को कुछ ऐसे दस्तावेज़ हाथ लगे हैं, जिनसे हैरान करने वाली सच्चाई का पता चलता है. कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका की सुनवाई हुई, जिसमें लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह को अगले सेनाध्यक्ष के रूप में नियुक्ति पर सवाल खड़े किए गए. याचिकाकर्ताओं ने यह सवाल उठाया कि जिस व्यक्ति के खिला़फ दो-दो संगीन मामले कोर्ट में चल रहे हैं, क्या उसे सेनाध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है. सरकार की तऱफ से कोर्ट को यह बताया
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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खून से सनी घास एवं मिट्टी, उनका चश्मा और चरखा सहित उनसे जुड़ी 29 चीज़ें ब्रिटेन में नीलाम हो गईं और इस देश का दुर्भाग्य देखिए, सरकार ने इस बारे में कुछ नहीं किया. इतना ही नहीं, इसके बारे में न तो सरकार ने किसी को बताया और न देश के मीडिया ने यह जानने की कोशिश की कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की धरोहर खरीदने वाला व्यक्ति कौन है, गांधी जी के हाथ की लिखी एवं
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टेट्रा ट्रक घोटाले के मामले में सरकार पूरी तरह से एक्सपोज हो गई है. जब चौथी दुनिया के एडिटर इन चीफ संतोष भारतीय को दिए गए इंटरव्यू में थलसेना अध्यक्ष जनरल वी के सिंह ने घूस की पेशकश करने के बारे में सनसनीखेज खुलासा किया, तब ए के एंटनी ने संसद में जवाब दिया. रक्षा मंत्री ने पूरी घटना को सही बताया और कहा कि, उन्होंने जनरल वी के सिंह से इस मामले पर कार्रवाई करने को कहा था. ए
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भारतीय जनता पार्टी की सबसे बड़ी ग़लती यह रही कि चुनाव के दौरान पार्टी ने एनआरएचएम घोटाले के दाग़ी बाबू सिंह कुशवाहा को गले लगाया. इससे न स़िर्फ पार्टी की साख खराब हो गई, बल्कि उत्तर प्रदेश के कार्यकर्ता भी नाराज़ हो गए. इसका सबसे बड़ा नुक़सान यह हुआ कि वह भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अन्ना हजारे और बाबा रामदेव के आंदोलन का फायदा नहीं उठा सकी, जबकि यह दिन के उजाले की तरह सा़फ था कि इन आंदोलनों का
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कनिष्क सिंह जैसे आदमी को जिस आदमी के पास राजनीति का कोई अनुभव नहीं था, उसे सारी व्यवस्था सौंपकर कांग्रेस ने अपने लिए आत्महत्या का सामान ख़ुद इकट्ठा कर लिया. सवाल यह है कि क्या कनिष्क सिंह ये सारे फैसले ख़ुद कर रहे थे या सारे फैसले राहुल गांधी की इच्छा अनुसार ही कर रहे थे. राहुल गांधी को शायद लगता था कि उत्तर प्रदेश में जनता उनका चेहरा देखकर उनके साथ खड़ी हो जाएगी. राहुल गांधी का प्रोग्राम किस
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सरकार चलाने का यह अजीबोग़रीब तरीक़ा है. पहले एक समस्या को जन्म दो, उसे पाल-पोस कर बड़ा करो और उसे बढ़ने दो. फिर मीडिया के ज़रिए उसके खतरे के बारे में लोगों को बताओ, चिंता जताओ, फिर हाथ खड़े कर दो कि इससे निपटने के लिए कड़े फैसले लेने होंगे, क़ानून बदलना होगा. ऐसी रणनीति का फायदा यह हो जाता है कि सांप भी मर जाता है और लाठी भी नहीं टूटती. जन विरोधी एवं ग़रीब विरोधी नीतियों और क़ानूनों
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