48 लाख करोड़ का महाघोटाला

48lakh crore

यूपीए सरकार की भी दास्तां अजीब है. सुप्रीम कोर्ट कहता है कि दाल में कुछ काला है तो सरकार कहती है कि यही सरकार की नीति है. सीएजी जब कहती है कि घोटाला हुआ है तो सरकार के मंत्री कहते हैं कि सब कुछ नियमों के मुताबिक हुआ और यह जीरो लॉस है. देश के संसाधन लुट जाते हैं. निजी कंपनियां पैसे कमा लेती हैं. मीडिया छाती पीटता रह जाता है और सरकार के मंत्री टीवी पर मुस्कुराते हुए कहते

एक नहीं, देश को कई केजरीवाल चाहिए

kejriwaal

दो साल पहले तक जयप्रकाश आंदोलन और भ्रष्टाचार के खिला़फ वी पी सिंह के आंदोलन में हिस्सा लेने वाले लोग भी यह कहते थे कि जमाना बदल गया है, अब देश में कुछ नहीं हो सकता. आज के युवा आंदोलन नहीं कर सकते. देश में अब कोई भी आंदोलन संभव नहीं है. देश के बड़े-बड़े राजनीतिक दलों को यह लगा कि देश की जनता अफीम पीकर सो चुकी है और उनकी मनमानी पर अब कोई आवाज़ उठाने वाला नहीं है.

यूपीए सरकार का नया कारनामा : किसान कर्ज माफी घोटाला

kisan karj

पहले 2-जी घोटाले ने देश के लोगों के होश उड़ाए, फिर कॉमनवेल्थ गेम्स से पूरी दुनिया को पता चला कि बिना भ्रष्टाचार के इस देश में कोई काम नहीं हो सकता है. एक के  बाद एक कई घोटाले उजागर होते गए. एक ऐसा सिलसिला शुरू हुआ, जिससे लोगों ने सरकारी घोटालों को नियति मान लिया. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भ्रष्टाचार को रोकने की झूठी तसल्ली देते रहे, लेकिन उन्होंने कोई ठोस क़दम नहीं उठाया. राजनीतिक क्षेत्र में नैतिकता का पतन इस

जन सत्‍याग्रह- 2012 अब सरकार के पास विकल्‍प नहीं है

jansatyagrah 2012

आगरा के सीओडी ग्राउंड में पचास हज़ार किसान एकत्र थे. देश भर का मीडिया मौजूद था. लाउडस्पीकर से यह घोषणा की जा रही थी कि यह व़क्त खुशियां मनाने का है. आंखों में सपने और चेहरे पर मुस्कान लिए देश भर से आए किसान खुशियां मना रहे थे. यह कह रहे थे कि अगले छह महीनों में उन्हें ज़मीन और घर का अधिकार देने के लिए सरकार क़ानून बनाएगी. जय जगत… जय जगत के नारों से माहौल गूंज रहा था.

अन्‍ना हजारे की नाराजगी का मतलब

anna

अचानक ऐसी क्या बात हो गई कि टीम अन्ना और अन्ना के बीच मतभेद सामने आ गए, ऐसा क्या हो गया कि अन्ना इतने नाराज़ हो गए कि उन्होंने अरविंद केजरीवाल और टीम अन्ना के लोगों से कहा कि न तो आप मेरे नाम का और न मेरे फोटो का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसमें दो बातें हैं. राजनीतिक दल बनाने की घोषणा जंतर-मंतर के आंदोलन के दौरान नहीं हुई थी. भूख हड़ताल के प्रति सरकार और कांग्रेस पार्टी बिल्कुल

खतरे में भारतीय दूरसंचार क्षेत्र : चीनी घुसपैठ हो चुकी है

BSNL

पूरी दुनिया टेलीकॉम क्षेत्र में भारत द्वारा की गई प्रगति की प्रशंसा कर रही है. भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा दूरसंचार नेटवर्क है. लेकिन विरोधाभास यह है कि दूरसंचार मंत्रालय भी आज तक के सबसे बड़े घोटाले में शामिल है, जिसे टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले का नाम दिया गया. एक लंबे समय तक दूरसंचार मंत्रालय ने बहुत से घनिष्ठ मित्र बनाए, जिन्होंने मनमाने तरीक़े से इस क्षेत्र का दोहन किया. यह टेलीकॉम लॉबी इतनी ताक़तवर है कि सरकार उसके

सीएजी के प्रति कांग्रेस का रवैया यह प्रजातंत्र पर हमला है

CAG

सीएजी (कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) यानी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट आई तो राजनीतिक हलक़ों में हंगामा मच गया. सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2006-2009 के बीच कोयले के आवंटन में देश को 1.86 लाख करोड़ का घाटा हुआ. जैसे ही यह रिपोर्ट संसद में पेश की गई, कांग्रेस के मंत्री और नेता सीएजी के खिला़फ जहर उगलने लगे. पहली प्रतिक्रिया यह थी कि सीएजी ने अपने अधिकार क्षेत्र की सीमा का उल्लंघन किया. भारतीय जनता पार्टी

प्रधानमंत्री विदेशी पूंजी लाएंगे

videshi punji

विदेशी पूंजी निवेश के बारे में पिछली बार सरकार ने फैसला ले लिया था, लेकिन संसद के अंदर यूपीए के  सहयोगियों ने ही ऐसा विरोध किया कि सरकार को पीछे हटना पड़ा. खुदरा बाज़ार में विदेशी निवेश का विरोध करने वालों में ममता बनर्जी सबसे आगे रहीं. सरकार ने कमाल कर दिया. भारत दौरे पर आई अमेरिका की विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ममता से मिलने सीधे कोलकाता पहुंच गईं. खबर आई कि उन्होंने ममता बनर्जी से यह गुज़ारिश की कि

राहुल कांग्रेस को कैसे बचाएंगे

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राजनीति में राहुल गांधी की सक्रिय भूमिका हो, राहुल गांधी को बड़ी ज़िम्मेदारियां सौंपी जाएं, राहुल गांधी पार्टी और सरकार में प्रभावशाली रूप से दखल दें, कांग्रेस की तऱफ से समय-समय पर ऐसे बयान आते रहते हैं. पिछले कुछ सालों से कांग्रेस में यह एक रिवाज़ सा हो गया है. इस बार कुछ नया है, क्योंकि पहली बार राहुल गांधी ने कहा कि वह अब राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाएंगे. सबसे पहला सवाल तो यही उठता है कि क्या वह

विद्वान प्रधानमंत्री विफल प्रधानमंत्री

bifal pradhanmantri

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ईमानदार हैं, सौम्य हैं, सभ्य हैं, मृदुभाषी एवं अल्पभाषी हैं, विद्वान हैं. उनके व्यक्तित्व की जितनी भी बड़ाई की जाए, कम है, लेकिन क्या उनकी ये विशेषताएं किसी प्रधानमंत्री के लिए पर्याप्त हैं? अगर पर्याप्त भी हैं तो उनकी ये विशेषताएं सरकार की कार्यशैली में दिखाई देनी चाहिए. अ़फसोस इस बात का है कि मनमोहन सिंह के उक्त गुण सरकार के कामकाज में दिखाई नहीं देते. वैसे, भारत में प्रधानमंत्री सर्वशक्तिमान होता है. वह देश का सबसे