यह कार्ड ख़तरनाक है : पार्ट-3, आधार कार्ड आधारहीन है

aadhar card

दिशाहीनता जब हद से गुजर जाए, तो उसे मूर्खता ही कहा जाता है. यूआईडी यानी आधार कार्ड के मामले में यूपीए सरकार ने दिशाहीनता की सारी सीमाएं अब लांघ दी हैं. आधार कार्ड पर हज़ारों करोड़ रुपये सरकार ने ख़र्च कर दिए. कांग्रेस पार्टी ने डायरेक्ट कैश ट्रांसफर का स्कीम इस कार्ड से जोड़ने का ऐलान कर दिया. कई झूठे वायदे कर लोगों को गुमराह करने में भी पीछे नहीं रही सरकार. देश के करोड़ों लोगों ने अपनी आखों की

बिहार में अधिकारियों का राज

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बिहार में नीतीश कुमार की सरकार और उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड में उदासीनता छाई है. मुख्यमंत्री के सामने न कोई मंत्री मुंह खोलने की हिम्मत करता है और न ही विधायक को बेधड़क मिलने की आज़ादी है. वहीं ज़्यादातर कार्यकर्ता तो मुख्यमंत्री की झलक तक नहीं ले पाते हैं. जेडीयू के लोग नीतीश कुमार को अब राजा कहकर संबोधित करने लगे हैं. बिहार में अधिकारियों की तानाशाही है और वहां के अधिकारी निरंकुश हो गए हैं.राज्य में भ्रष्टाचार चरम

संघ और भाजपा मे जंग

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राजनाथ सिंह भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष तो बन गए, लेकिन यह राजमुकुट कांटों से भरा है. सवाल यह है कि क्या राजनाथ सिंह अपने फैसले नरेंद्र मोदी पर लागू करा पाएंगे, क्या आडवाणी एवं उनके नज़दीकी नेता राजनाथ सिंह को स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने का मौक़ा देंगे? पार्टी में हर राज्य में विद्रोह हो रहा है, क्या राजनाथ सिंह उन राज्यों में चल रही उठापटक ख़त्म कर पाएंगे? यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि राजनाथ सिंह

देश को बचाने का यह आखिरी मौका है

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देश का प्रजातंत्र खतरे में है. देश चलाने वालों ने झूठ बोलने, धोखा देने और मर्यादाओं को लांघने को ही राजनीति समझ लिया है. नतीजा यह हुआ कि संसद में नेता झूठ बोलने लगे हैं और सदन में सर्वसम्मति बनाकर जनता के साथ धोखा किया जाने लगा है. सरकार ऐसी-ऐसी नीतियां बना रही है, जिससे सा़फ ज़ाहिर होता है कि संविधान को ही ताक़ पर रख दिया गया है. इस बात से कौन इंकार कर सकता है कि भारत को

प्रजातंत्र बना लाठीतंत्र

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बलात्कार की शर्मनाक घटना के अगले दिन जेएनयू के छात्र-छात्राओं ने दिल्ली के मुनीरका में रास्ता जाम किया तो किसी को नहीं लगा कि यह आंदोलन की शक्ल लेकर पूरे देश को हिला देगा. सरकार से इस घटना को समझने में चूक हुई. सरकार को लगा कि यह बलात्कार की छोटी घटना है, सब कुछ शांत हो जाएगा. न प्रधानमंत्री सामने आए, न गृहमंत्री सामने आए और न कोई आश्‍वासन मिला. एक बार लखनऊ में मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर जबरदस्त

इंडियन एक्‍सप्रेस की पत्रकारिता- 2

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अगर कोई अ़खबार या संपादक किसी के ड्राइंगरूम में ताकने-झांकने लग जाए और गलत एवं काल्पनिक कहानियां प्रकाशित करना शुरू कर दे तो ऐसी पत्रकारिता को कायरतापूर्ण पत्रकारिता ही कहेंगे. हाल में इंडियन एक्सप्रेस ने एक स्टोरी प्रकाशित की थी, जिसका शीर्षक था, सीक्रेट लोकेशन. यह इस अ़खबार में प्रकाशित होने वाले नियमित कॉलम डेल्ही कॉन्फिडेंशियल का एक हिस्सा थी. इस स्टोरी को पढ़कर कोई आदमी यही निष्कर्ष निकालेगा कि वी के सिंह और अन्ना हजारे, जो पारदर्शिता के स्वघोषित

इंडियन एक्सप्रेस की पत्रकारिता – 1

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क्या इस देश की सेना पर हथियारों के दलालों का कब्जा हो गया है? जो लोग देश के साथ गद्दारी करते हैं, उन्हें ईनाम और जो लोग जान देने के लिए तत्पर हैं, उनके साथ अन्याय!  क्या ऐसे ही देश चलेगा? आज हम भारतीय सेना के एक ऐसे राज से पर्दा उठाएंगे, जिसे जानकर आपको हैरानी होगी. आज हम सेना में छुपे गुनहगारों और मीडिया के नेक्सस का पर्दाफाश करेंगे. हम आपको बताएंगे किस तरह इंडियन एक्सप्रेस अ़खबार का एक

यह आम आदमी की पार्टी है

yeh aap ki party hai

देश की संपत्ति का एक बड़ा भाग केवल सौ घरानों के हाथ में है और दूसरी तऱफ देश की 70 प्रतिशत जनसंख्या 20 रुपये प्रतिदिन से भी कम पर गुज़ारा करती है. सरकार की आर्थिक नीतियों की वजह से ग़रीबों के हाथ से पैसा निकल कर अमीरों के हाथ में जा रहा है. कुछ चंद लोगों के हाथों में इतनी अपार संपत्ति आई कैसे? भारतीय राजनीति का एक शर्मनाक पहलू यह है कि देश के राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय दलों की

किसानों पर गोलियां चलाने से हल नहीं निकलेगा

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भारत भी अजीब देश है. यहां कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्हें फायदा पहुंचाने के लिए सरकार सारे दरवाज़े खोल देती है. कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्हें लाभ पहुंचाने के लिए नियम-क़ानून भी बदल दिए जाते हैं. कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनके हितों की रक्षा सरकारी तंत्र स्वयं ही कर देता है, मतलब यह कि किसी को कानोंकान खबर तक नहीं होती और उन्हें बिना शोर-शराबे के फायदा पहुंचा दिया जाता है. और कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें फायदा मिलना

गुजरात चुनाव मुसलमान और कांग्रेस

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अगले लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है. कांग्रेस पार्टी ने अगले चुनाव की कमान राहुल गांधी को सौंप दी है. राहुल गांधी को 2014 के लोकसभा चुनाव की समन्वय समिति का प्रमुख बनाया गया है. राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे, यह बात पहले से ही तय है. इसमें कोई नई बात नहीं है. इस समिति में वही पुराने चेहरे हैं, जो अब तक कांग्रेस की रणनीति बनाते आए हैं. इसलिए कुछ नया होगा, इसकी उम्मीद नहीं