विदेशी फंड से संचालित गैर सरकारी संगठन देश के लिए खतरा है

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सरकार की रिपोर्ट आई है कि विदेशी धन से चलने वाले देशी एनजीओ भारत के आर्थिक विकास के लिए ख़तरा हैं. विकास की परिभाषा क्या है, विकास का सही रास्ता क्या है, विकास के लिए सही नीतियां क्या हैं, यह सब बहस का मुद्दा है. वैसे भी, विदेशी फंड से संचालित एनजीओ को महज आर्थिक ख़तरा बताना पर्याप्त नहीं है, क्योंकि यह सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा नहीं है. विदेशी धन और संगठनों द्वारा संचालित इन एनजीओ का राजनीतिक हस्तक्षेप भारत के

सेबी और सहारा का सच

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सहारा की दो कंपनियां हैं. सहारा ने SIRECL (सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड) और SHICL (सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड) नामक दो कंपनियों की शुरुआत की. ये कंपनियां समाज के उस तबके में काम करती थीं, जो अब तक देश की आर्थिक व्यवस्था से बाहर हैं. ऐसे लोग, जिनका पिछले 67 सालों में सरकार एक बैंक एकाउंट नहीं खुलवा सकी. ऐसे लोग, जो कभी किसी बैंक के अंदर नहीं गए. समाज के ऐसे ग़रीब लोगों के बीच सहारा की

सहारा श्री सुब्रत रॉय जेल में क्यों हैं

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भारत-बांग्लादेश क्रिकेट मैच के दौरान बाउंड्री पार करती बॉल को देखते ही एक सवाल कौंध गया. बाउंड्री पर सहारा इंडिया लिखा था. बांग्लादेश और भारत की टीमें सहारा कप जीतने के लिए खेल रही हैं. हैरानी इस बात की है कि सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय जेल में हैं. देश में चाहे क्रिकेट हो, बैडमिंटन हो, हाकी हो, फॉर्मूला वन हो या फिर पोलो, सुब्रत रॉय ने खेल को बढ़ावा देने में काफी सकारात्मक योगदान दिया है, लेकिन इस

हथियार माफिया, राजनीति और सेना

hatiar mafia rajniti aur sena

रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने यह साफ़ कर दिया है कि लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग देश के अगले थलसेना अध्यक्ष होंगे. लेफ्टिनेंट जनरल सुहाग को बधाई. साथ में यूपीए के उन मास्टर माइंड रणनीतिकारों को भी बधाई, जो चुनाव हार जाने के बाद भी मोदी सरकार द्वारा अपने ़फैसले को लागू करवाने में सफल रहे हैं. अरुण जेटली को कौन समझाए कि लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग के ख़िलाफ़ आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर्स एक्ट के घोर उल्लंघन का आरोप

ऐसे जीती भाजपा

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2014 लोकसभा चुनाव ने भारतीय राजनीति के कई मिथकों को तोड़ा है. सर्वे कराने वाली देश के सारी एजेंसियां फेल हो गईं. विश्‍लेषकों की भविष्यवाणी झूठी साबित हुई. टीवी चैनलों पर चुनाव से पहले दिखाए गए आकलन और विश्‍लेषण को फिर से दिखाया जाए, तो देश के सभी चुनावी विश्‍लेेषकों की फ़जीहत हो जाए. पूर्वाग्रह कहें या अक्षमता, लेकिन हक़ीक़त यह है कि उन महान पत्रकार को भी वास्तविकता की भनक नहीं लगी, जो जगह-जगह जाकर रिपोर्टिंग कर रहे थे.

आम आदमी पार्टी ने इतिहास रचा

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प्रजातंत्र में चुनाव सिर्फ सरकार बनाने की प्रक्रिया नहीं है. यह राजनीतिक दलों की नीतियां संगठन और नेतृत्व की परीक्षा भी है. यह राजनीतिक दलों के चाल चरित्र और चेहरे को भी उजागर करता है. चुनाव नतीजे ने आम आदमी पार्टी की कमर तोड़ दी. पार्टी को न सिर्फ शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा बल्कि पार्टी के विरोधाभास को भी उजागर कर दिया. आम आदमी पार्टी की नीतियों, संगठन और नेतृत्व के विरोधाभास सामने आ गए. यह समझना जरूरी

मैंने इस्तीफा क्यों दिया?

nitish kumar

नीतीश कुमार की काल्पनिक चिट्ठी मित्रों, मैंने 17 मई को अपना इस्तीफा महामहिम राज्यपाल को दिया. यह फैसला मैने काफी सोच समझ और जिम्मेदारी के साथ ली. मैंने इस्तीफा इसलिए दिया क्योंकि बिहार में जनता दल युनाइटेड के चुनाव दल का नेतृत्व मैं कर रहा था और जो चुनाव नतीजे आए हैं उसकी जिम्मेदावारी मैंने ली हूं और मुझे लेना भी चाहिए था. इस चुनाव के दौरान मैंने अपनी सरकार के कामों पर बिहार की जनता का समर्थन मांगा था.

चुनाव से पहले ही राहुल हार गए

chunav se pahle rahul haar gaye

लोकसभा चुनाव के नतीजे 16 मई को आने वाले हैं, लेकिन देश का राजनीतिक माहौल दीवार पर लिखी इबारत की तरह यह संकेत दे रहा है कि यूपीए सरकार की हार निश्‍चित है. कांग्रेस के उम्मीदवार चुनाव के बीच मैदान छोड़कर भाग रहे हैं. हार की वजह यूपीए सरकार के दौरान भ्रष्टाचार, महंगाई और घोटाले हैं. विकास के मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी की बातों पर लोगों को अब भरोसा नहीं रहा. राहुल गांधी खुद को एक नेता के रूप में

आधार कार्ड-एक विशिष्ट घोटाला

ye card khatarnak hai

यूरोप और अमेरिका सहित हर विकसित देश ने बायोमैट्रिक डाटा पर आधारित विशिष्ट परिचय पत्र देने का ़फैसला किया, लेकिन जैसे ही उन्हें ख़तरे का आभास हुआ, उन्होंने यह प्रोजेक्ट बीच में ही रोक दिया. भारत एक ऐसा अनोखा देश है, जहां ग़रीबों को फ़ायदा पहुंचाने के नाम पर यह प्रोजेक्ट आज भी जारी है. यहां कोर्ट से लेकर संसद समिति तक चीख-चीखकर कह रहे हैं कि आधार प्रोजेक्ट बंद कर देना चाहिए, लेकिन सरकार के कान में जूं तक

अन्ना हजारे ने देश को धोखा दिया

anna mamata

अन्ना को किसी ने धोखा नहीं दिया, बल्कि अन्ना ने देश की जनता के साथ धोखा किया है. वह लोगों में आशा जगाकर खुद मैदान से भाग खड़े हुए. अन्ना के जिस आर्थिक मसौदे का समर्थन ममता बनर्जी ने किया था, वह भारत के विकास में ग़रीबों, मज़दूरों, दलितों एवं अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी का एजेंडा था. भाषण देना अलग बात है, लेकिन सीधे तौर पर बाज़ारवाद को चैलेंज करना किसी भी पार्टी के वश की बात नहीं है. अन्ना के