यह गूजर नहीं किसान आंदोलन है

kisan andolan

गूजर आंदोलन कर रहे हैं. क्या यह आंदोलन आकस्मिक है. ये किसान सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग क्यों कर रहे हैं. गूजरों को गांव में रहने वाले राजपूतों का समर्थन क्यों मिल रहा है. गांव में रहने वाले उच्च जाति के लोग भी सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग को लेकर क्यों आवाज़ उठाने लगे हैं. क्या वजह है कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग शहर के व्यापारी नहीं करते. कहीं ऐसा तो नहीं कि सरकार को अपनी

दिशाहीन भाजपा

dishaheen bjp

भारतीय जनता पार्टी देश का मुख्य विपक्षी दल है, पर कमज़ोर है, दिशाहीन है और जनता से कट चुकी है. न ही ऐसा कोई नेता है, जो भ्रष्टाचार और घोटालों जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को राष्ट्रीय मुद्दा बना कर देशव्यापी आंदोलन चला सके. देश चलाने वाले घोटाला कर रहे हैं यह आरोप तो सही है, लेकिन विपक्ष भी अपना काम नहीं कर रहा है. देश की जनता भ्रष्टाचार और महंगाई से जूझ रही है, वहीं भारतीय जनता पार्टी के युवा कार्यकर्ता

भ्रष्टाचार : देश का सरकारी तंत्र स़डने लगा है

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देश के सरकारी तंत्र में फैला भ्रष्टाचार अपने अंतर्विरोध की वजह से एक्सपोज हो रहा है. आज उद्योगपति के ख़िला़फ उद्योगपति, नेता के ख़िला़फ नेता, अधिकारी के ख़िला़फ अधिकारी, मीडिया के ख़िला़फ मीडिया, कोर्ट के ख़िला़फ कोर्ट, सब लड़ रहे हैं. जो अब तक देश को लूट रहे थे, अब आपस में लड़ रहे हैं. सवाल यह है कि देश चलाने वालों को जब भ्रष्टाचार के इस राक्षस के बारे में सब कुछ पता था तो वे अब तक चुप

सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी

supreme court

हर दिन एक न एक नया घोटाला आम जनता के सामने उजागर हो रहा है. अ़फसोस की बात यह है कि यह सब ऐसे प्रधानमंत्री के शासनकाल में हो रहा है, जो स्वयं ईमानदार एवं सज्जन पुरुष हैं. जिस तरह हर दिन एक के बाद एक घोटाले सामने आ रहे हैं, सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार की असलियत सामने आ रही है, मन में एक सवाल उठता है कि अगर आज गांधी ज़िंदा होते तो क्या करते. शायद सत्याग्रह या

अग्निपरीक्षा में बिहार की जनता जीती

agni pariksha

जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी गठबंधन की ऐसी जीत इसलिए हुई, क्योंकि बिहार की जनता यह मानती है कि नीतीश कुमार की सरकार लालू यादव की सरकार से का़फी बेहतर है. चौथी दुनिया के सर्वे में 73 फीसदी लोगों ने इस बात को माना था और स़िर्फ 12 फीसदी लोगों को यह लगता था कि लालू यादव की सरकार नीतीश सरकार से बेहतर थी. इसका मतलब यह है कि लोग जब वोट देने गए तो उनके दिमाग में

यह दोस्‍ती खतरनाक है

dosti

इस बात की हर तऱफ तारी़फ हो रही है कि बराक ओबामा ने पाकिस्तान के ख़िला़फ बयान दिया. तारी़फ इस बात की भी हो रही है कि अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है. यूपीए सरकार इसके लिए ख़ुद ही अपनी पीठ थपथपा रही है. मुख्य विपक्षी दल को भी इसमें अमेरिका का खेल समझ में नहीं आया. दरअसल, इसमें कई पेंच हैं, कई उलझनें हैं, कई शर्तें हैं. इनमें से कुछ

बिहार में राहुल फेल हो गए

rahul gandhi

सवाल यह है कि राहुल ने बिहार में ऐसी रणनीति क्यों अपनाई. दरअसल राहुल गांधी के लिए बिहार चुनाव एक प्रयोगशाला है, उन्हें देश का प्रधानमंत्री बनना है, युवाओं का सर्वमान्य नेता बनना है. इसी मायने में बिहार चुनाव राहुल गांधी का इम्तहान है. बिहार के चुनाव में यह भी फैसला होना है कि राहुल गांधी का करिश्मा चुनाव पर असर डालता है या नहीं? राहुल गांधी में संगठन का पुनर्निर्माण करने की क़ाबिलियत है या नहीं? बीस साल पहले

किसी भी कीमत पर इन्‍हें वोट मत दीजिए

kisi bhi kimat par vote mat

विधानसभा लोकतंत्र का मंदिर है, वहां जाने का अधिकार सिर्फ योग्य, कर्मठ, ईमानदार एवं जनहितैषी शख्स को है, जो नुमाइंदगी के फर्ज़ को ब़खूबी निभा सके. दाग़दार दामन वालों और सौदेबाज़ बहुरूपियों को विधानसभा भेजना लोकतंत्र और देश की गरिमा की सरासर अनदेखी है. बिहार की जनता को इस बार पूरी सावधानी से अपने मताधिकार का प्रयोग करना चाहिए, वरना अगले पांच सालों तक हाथ मलने के अलावा उसके पास और कोई चारा शेष नहीं रहेगा. बिहार के चुनावों में

बिहार चुनावः लेफ्ट भी एक चुनौती है

bihar chunav

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव ए बी वर्धन देश के वरिष्ठतम और सम्मानित राजनीतिज्ञों में शुमार किए जाते हैं. देश, विदेश और राज्यों से संबंधित विभिन्न मामलों के वह अच्छे जानकार हैं. बिहार विधानसभा चुनाव का मामला हो या अयोध्या पर आए ताजा फैसले का, वह हर बिंदु पर बेबाक बोलते हैं. चौथी दुनिया के समन्वय संपादक मनीष कुमार ने पिछले दिनों उनसे विभिन्न गंभीर मुद्दों पर एक लंबी बातचीत की. पेश हैं मुख्य अंश: बिहार विधानसभा में पिछली बार

चौथी दुनिया का सर्वेः नीतीश बस थोड़ा आगे

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जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी गठबंधन जीत की स्थिति में इसलिए है, क्योंकि बिहार की जनता यह मानती है कि नीतीश कुमार की सरकार लालू यादव की सरकार से का़फी बेहतर है. उसे लगता है कि पिछले पांच सालों में संतोषजनक विकास हुआ है. बिहार का चुनाव हमेशा से जटिल रहा है. विजेता कौन होगा, यह रिजल्ट आने के बाद ही पता चल पाता है. चौथी दुनिया के सर्वे के मुताबिक़, जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी