अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने सबसे पहले बाबा रामदेव के खिला़फ आधिकारिक बयान दिए. डॉ. मनीष कुमार ने परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता बाबा हठयोगी से बातचीत की. पेश हैं मुख्य अंश:
बाबा रामदेव ने ऐसा क्या कर दिया है कि अचानक पूरा संत समाज, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और अखिल भारतीय संत समिति उनके पीछे हाथ धोकर पड़ गए हैं?
नहीं, ऐसा नहीं है कि पूरा संत समाज हाथ धोकर बाबा रामदेव के पीछे पड़ गया है. अगर साधु ही इस वेश की आड़ में सभी तरह के व्यापार करने लगेंगे तो बाकी लोगों का क्या होगा. हम, जो धर्म और संस्कृति का उपदेश देने वाले लोग हैं, वसुधैव कुटुंबकम का नारा देने वाले, यदि हम ही लोगों का शोषण करेंगे, फैक्ट्रियां खोलेंगे, टैक्स की चोरी करेंगे, योग का कैंप करेंगे तो क्या होगा? निस्वार्थ करें तो बात अलग है, लेकिन हम ग्यारह सौ रुपये, ग्यारह हज़ार रुपये लेंगे तो क्या होगा? वह शिविरों की सीट टिकट की तरह बेचते हैं और जो ज़्यादा पैसे देता है वह आगे और जो कम देता है, उसे पीछे वाली सीट देते हैं. और फिर सरकार को टैक्स की चोरी कर ऩुकसान पहुंचाएंगे, सारे सरकारी लाभ पाएंगे और फिर बाहर से पाक-सा़फ बनेंगे कि विदेशों में जो काला धन है, उसे वापस लाएंगे. लेकिन सबसे ज्यादा काला धन हमारी संस्था में लग रहा है, जिसका हिसाब हम नहीं दे रहे हैं.
एक चैनल पर मैंने उन्हें यह कहते हुए सुना कि वह पहले अखाड़ा परिषद को पैसा दिया करते थे?
अगर एक भी पैसा उन्होंने अखाड़ा परिषद को दिया है तो या तो वह अपनी पूरी संपत्ति दान कर देंगे या मैं अपनी पूरी संपत्ति दान कर दूंगा. यह बिल्कुल झूठ है, झूठ का पुलिंदा है. बेचारा, जिसने उसे सब कुछ सिखाया, उसका पता तक नहीं लगाया. जिसने पांच बीघा ज़मीन दी, उसका पता नहीं है. खुद इस समय अरबों रुपये पर अकेले राज कर रहा है. कर्णवीर, जिसने फाउंडेशन की स्थापना में अपना पूर्ण योगदान दिया, उसे निकाल कर बाहर फेंक दिया. स्वामी योगानंद, जिसके नाम से उसने आयुर्वेद का लाइसेंस लिया था और इतनी बड़ी फार्मेसी चलाता था, उसे मरवा दिया और उसके भतीजे का नाम लगवा दिया. राजीव दीक्षित, जो उसके स्वाभिमान ट्रस्ट का पूरा काम करता था, वह आदमी जो दिन-रात योग करता है और योग से दुनिया भर के लोगों का इलाज करता है, क्या वह चालीस साल का आदमी हार्ट अटैक से मर जाएगा?
बाबा रामदेव ने कहा कि आपका अखाड़ा परिषद से कोई लेना-देना नहीं है?
मेरा अखाड़ा परिषद से लेना-देना नहीं है? मैं अखाड़ा परिषद का प्रवक्ता हूं. मैं कह दूं कि रामदेव का लेना-देना नहीं है अखाड़ा परिषद से तो उससे क्या होगा.
क्या ऐसा है कि किसी निजी क्लेश की वजह से आप लोगों के बीच ऐसी रंजिश हो रही है?
मैं किसी से एक भी पैसा नहीं लेता हूं, आप किसी से भी पूछ लें. आप पूरे हरिद्वार में पूछ सकते हैं. वह जो कह रहा है, वह बौखलाया हुआ बोल रहा है. अभी तो रामदेव की इतनी असलियत सामने आएगी कि वह रोएगा. जो धर्म और कर्म और योग और आयुर्वेद के नाम पर वह लोगों को लूट रहा है, जितनी वाहवाही उठा रहा है, उतना ही रोएगा. ठीक है आयुर्वेद का नाम किया, मैं भी इससे प्रसन्न हूं, लेकिन यह तो लोगों का शोषण करने लगा है, मज़दूरों को मज़दूरी भी नहीं देता है, उनका शोषण करता है, पचास-पचास करोड़ की सब्सिडी लेता है पगार के नाम पर और 3300 रुपये में बेचारों से बारह घंटे काम कराता है.